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    बच्चों के लिए खतरनाक नहीं होगी कोरोना की संभावित तीसरी लहर

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Thu, 15 Jul 2021 11:02 AM (IST)

    कोरोना की संभावित तीसरी लहर को बच्चों के लिए ज्यादा खतरनाक बताया जा रहा है। इसे लेकर भय की स्थिति बनी हुई है लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने साफ किया है कि ज्यादातर बच्चों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

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    बच्चों के लिए खतरनाक नहीं होगी कोरोना की संभावित तीसरी लहर।

    जागरण संवाददाता, देहरादून। कोरोना की संभावित तीसरी लहर को बच्चों के लिए ज्यादा खतरनाक बताया जा रहा है। इसे लेकर भय की स्थिति बनी हुई है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने साफ किया है कि ज्यादातर बच्चों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अगर पूर्ण रूप से स्वस्थ बच्चों को संक्रमण होता भी है तो उनकी हल्की तबीयत खराब होती है और वो बिना अस्पताल गए जल्दी ठीक हो जाते हैं। एक आकलन के मुताबिक पांच फीसद बच्चों को ही अस्पताल में भर्ती कराने की स्थिति बनेगी। तीन फीसद बच्चों को आक्सीजन बेड, जबकि दो फीसद बच्चों को आइसीयू की जरूरत पड़ सकती है।

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    कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच स्वास्थ्य विभाग ने एक रिपोर्ट तैयार की है। जिसके अनुसार राज्य में महज दस फीसद बच्चों को ही कोरोना संक्रमण के बाद अस्पताल जाने की नौबत आएगी। इसमें से पांच फीसद बच्चे गंभीर संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं। जिन्हें आइसीयू और आक्सीजन सपोर्ट की जरूरत होगी। जबकि पांच फीसद संक्रमण के बाद अस्पताल पहुंचेंगे, लेकिन उनकी स्थिति ज्यादा नहीं बिगड़ेगी। स्वास्थ्य महानिदेशक डा. तृप्ति बहुगुणा ने बुधवार को कोरोना की तीसरी लहर के दौरान संक्रमण की स्थिति और तैयारियों की समीक्षा की। इस दौरान अधिकारियों ने उन्हें यह रिपोर्ट दी है।

    बता दें कि 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य में 18 साल तक के कुल 38 लाख के करीब बच्चे हैं। सरकारी एवं निजी अस्पताल व मेडिकल कालेज में 335 बाल रोग विशेषज्ञ उपलब्ध हैं, जिन्हें उपचार एवं प्रबंधन के लिए विशेष तौर पर प्रशिक्षित किया जा चुका है। इसके अतिरिक्त स्टाफ नर्स व अन्य पैरामेडिकल कर्मियों को भी प्रशिक्षण दिया गया है।

    80 फीसद एंबुलेंस बच्चों के लिए रिजर्व

    स्टेट टास्क फोर्स की सदस्य सचिव एवं एनएचएम निदेशक डा. सरोज नैथानी ने बताया कि राज्य में कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए कई कदम उठाए गए हैं। उन्होंने बताया कि निजी अस्पतालों को एंटीजन जांच की इजाजत दी गई है। बच्चों के इलाज वाले अस्पतालों को चिह्नित किया गया है। 108 सेवा की 20 फीसद, जबकि लाइफ सपोर्ट सिस्टम वाली 80 फीसद एंबुलेंस बच्चों के लिए आरक्षित करने का निर्णय लिया गया है। राज्य के आपदा प्रभावित जनपदों में 87 ऐसे आपदा प्रभावित क्षेत्रों को चिह्नित किया गया है, जहां अक्सर भूस्खलन या सड़क मार्ग के टूटने के कारण आवागमन बाधित रहता है। इन स्थानों पर ट्रांस शिपमेंट के माध्यम से संक्रमित मरीज को स्वास्थ्य इकाई तक पहुंचाने की योजना पर कार्य किया जाएगा।

    मेडिसिन एवं विटामिन सप्लीमेंट किट तैयार

    स्वास्थ्य विभाग ने मेडिसिन एवं विटामिन सप्लीमेंट किट भी तैयार की हैं, जिन्हें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर होम आइसोलेशन किट के तौर पर दिया जाएगा। यह किट बच्चों के अलग-अलग आयुवर्ग के अनुसार तीन अलग-अलग रंगों में तैयार की गई हैं। आशाएं घर-घर जाकर भी इन किट का वितरण करेंगी। वह अपने सामने विटामिन डी / जिंक / विटामिन सी की एक खुराक बच्चे को खिलाएंगी, ताकि माता-पिता इस किट का उपयोग आसानी से कर सकें।

    बच्चों में इम्युनिटी को बढ़ाने के लिए पोषक तत्वों से भरपूर आहार, दिए जाने के बारे में माता-पिता एवं अभिभावकों को विभिन्न माध्यमों से जागरूक किया जा रहा है। डा. नैथानी ने बताया कि सरकारी अस्पतालों में संक्रमित बच्चों के लिए 694 बेड की आवश्यकता होगी, जिसके सापेक्ष 1446 आक्सीजन युक्त बेड उपलब्ध हैं। इसी प्रकार 277 आइसीयू/ हाई डिपेनडेंसी यूनिट के सापेक्ष सरकारी एवं निजी अस्पतालों व मेडिकल कालेज को मिलाकर 1889 आइसीयू/ एचडीयू उपलब्ध हैं। बच्चों की देखभाल के लिए सरकारी एवं निजी अस्पतालों में 432 नियोनेटल आइसीयू व 383 पिडियाटिक आइसीयू उपलब्ध हैं।

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